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Tuesday, 19 September 2017

गावों में मिटटी जांच योजना एक आर्थिक कल्पवृछ




 कल उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश के सभी ग्राम पंचायतों में मिटटी की जांच की व्यवस्था की घोषणा की। यह एक अत्यंत दूरदर्शी और सराहनीय कदम है। यह उत्तर प्रदेश के लिए आर्थिक कल्पवृछ साबित हो सकता है। इस निर्णय के काफी सकारात्मक आर्थिक और दूरगामी परिणाम दिखाई पडेंगे।





उत्तर प्रदेश में पहले से ही अनेक योजनाओं के तहत लगभग हर बीसवी न्याय पंचायत में सरकारी कृषि के भवन उपलब्ध हैं। जिनमे योजनाओं के ख़त्म होने के बाद से ताले पड़े हुए हैं। या दुसरे लोग स्थानीय लोगों की मदत से कब्जा जमाए बैठे हैं। इन भवनों का इस्तेमाल मिटटी जांच प्रयोगशालाओ के रूप में किया जा सकता है । चुकी प्रयोगशालाओं को खोलने का लच्य ग्राम पंचायत स्तर पर है अतः मेरे सुझाव में सरकार को किसी भी नए निर्माण में अपना हाथ नहीं डालना चाहिए। सरकार को चाहिए कि गाँव में ही उपलब्ध किसी भी घर के कुछ कमरे किराये पर लेकर प्रयोगशालाएं चलाइ जाएँ जिससे गाँव के कुछ लोगों को किराये के रूप में कुछ धन भी अर्जित होगा और सरकार को नए भवन निर्माण के लिए भारी भरकम रकम खर्च करने से भी मुक्ति मिलेगी।

                                
              चित्र : मिट्टी जांच लैब


आज उत्तर प्रदेश के प्रत्यक न्याय पंचायत में कृषि विशेषज्ञ उपलब्ध हैं उसके साथ ही कृषि विज्ञान केन्द्रों में वैज्ञानिक भी तहसील स्तर पर उपलब्ध हैं। यदि प्रत्यक ग्राम पंचायतों में एक मिटटी जांच की प्रयोगशाला खोली जायेगी तो न्याय पंचायत स्तर के कृषि कर्मियों और विशेषज्ञ को वहां बैठने की सुनिश्चित जगह मिलेगी। अतः मिटटी की जांच कराने आपने वाला किसान कृषि विशेषज्ञ से भी खेती के विषय में आसानी से राय भी प्राप्त कर सकेगा।




आज की स्थिति यह है कि मिटटी की प्रयोगशालाएं जयादातर जिले स्तर पर हैं और कृषि विशेषज्ञ केवल ब्लाको पर ही उपलब्ध होते हैं। यदि कृषि विशेषज्ञ गाँव में जाते भी हैं तो कभी किसान नहीं मिलता और कभी विशेषज्ञ जिसके घर बैठा होता है उसके घर से दुसरे कुछ लोगों की दुश्मनी होती है जिससे अन्य किसान वहां आते ही नहीं। अतः मिटटी की प्रयोगशालाएं बनने से छोटी छोटी समस्याएं खुद ब खुद दूर हो सकती हैं और किसान मिटटी की जांच के लिए सुलभता से अपने ही ग्राम में जांच और सलाह भी प्राप्त कर सकता है।







यह योजना कम खर्चीली परन्तु बहुत यह बेहद महत्वपूर्ण निवेश होगा। इससे सौ प्रतिशत तय है कि उत्तर प्रदेश में किसानो की आमदनी आने वाले तीन सालों में ही दुगनी हो जायेगी। जो काम मोदी सरकार नहीं कर सके वह एक झटके में योगी सरकार करने जा रही है और उत्तर प्रदेश को विकास की नयी उचाइयों पर पहुँचने से कोई नहीं रोक सकता है।









मिटटी की जाँच इसलिए आवश्यक है कि पिछले कई दशकों से रासायनिक खादों के धड़ल्ले से प्रयोग होने के कारण जमीन में बहुत बड़ा परिवर्तन आ चुका है। अब जमीन की उत्त्पदाकता कम हो चुकी है। अतः मिटटी की जांच से यह पता चलेगा कि किस मिटटी में किस तत्व की अधिकता है और किस चीज की कमी और यह भी पता चलेगा कि क्या सामान्य है। इसके आधार पर किसान उर्वरकों (fertilizers) का संतुलित प्रयोग कर सकेंगे जिससे कि मिटटी का स्वस्थ अच्छा होगा और फसलों की उत्त्पदाकता बढ़ेगी और किसान तथा देश दोनों को बहुत बड़ा लाभ होगा।





उत्तर प्रदेश की मिटटी पहले से ही बहुत उपजाऊ है, यहाँ पानी भी प्रचुर मात्र में है। यदि सरकार साथ दे जैसा कि दिखाई पड़ रहा है तो यहाँ की गरीबी मिटने में बहुत ज्यादा वक्त नहीं लगेगा। यह मिटटी कि जांच लैब, एक कृषि परामर्श केंद्र के रूप में विकसित हो जाएगी जिससे किसानों को हर तरह के कृषि पर आधारित उद्द्योगों का भी ज्ञान मिलेगा।





आज मिटटी की जांच जिले स्तर और कहीं कहीं यह तहसील स्तर पर होने से प्रयोगशालाओं पर बहुत अधिक दबाव होता है। जिससे कि बहुत सारी मिटटी की जांचे ठीक ढंग से नही हो पाती ऐसे में मिटटी की जांच का फैयदा ही क्या ? ग्राम पंचायत स्तर पर यह सुविधा होने से मिटटी की जांच किसान के सामने हो जायेगी जिससे कि मिटटी की स्वास्थ्य की सटीक जानकारी प्राप्त हो सकेगी।

     
                             चित्र : मिटटी जांच किट





आज बहुत सारे देशों में मिटटी जांच हेतु जांच किट भी उपलब्ध हैं जिससे त्वरित जांच सुनिशिचत हो जाती है और समय तथा पैसा दोनों की बचत होती है। अतः सरकार को इस प्रकार की सफल मिटटी जांच किट्स का इंतजाम करना चाहिए, जिससे खर्च में कटौती की जा सके। इस प्रकार जांच किट्स की मदत से सामन्य पढ़े लिखे ग्रामों के युवा भी जांच आसानी से कर पायेंगे और केवल कृषि में इन्टर पास लड़के या बी. ए./ बी यस. सी. पास बेरोजगार भी रोजगार पा सकेंगे। और जांच भी आसानी से बिना किसी विशेषज्ञता के आधार पर कर सकेंगे। आज प्रदेश में 52 हजार ग्राम पंचायतें हैं। यदि संविदा पर भी नौकरी दी जाय तो 52 हजार ग्रामीण छेत्रों में रोजगार सर्जित होंगे और लगभग इतने ही ग्रामीणों के घरों को किराये प्राप्त होंगे। यह एक बेहद महत्वपूर्ण और दूरदर्शी सोच और कदम है जो प्रदेश की आर्थिक तरक्की में मदत्गार होगा।

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