Forestry and Agro forestry
वानकी का अर्थ है वनों को विकसित करना जिनमे वन के लिए
पौधों का उत्तपादन, उनका संरछण और उनके उत्त्पदों का उपयोग [शामिल होता है। वानकी का मुख्य उद्देश
पर्यावरण का संतुलन बनाना है परन्तु वानकी एक बहुउद्देशीय कार्य है।
कृषि वानकी, वानकी (Forestry) का वह अंग है जिसमे फसल उत्त्पादन अथवा कृषि के साथ साथ वृक्षारोपण को सम्लित किया जाता है। वानकी के अंतर्गत केवल वृक्षारोपण किया जाता है और वन को संरछित किया जाता है तथा वनों
द्वारा उत्त्पन्न विभिन्न प्रकार के उत्तपादों का उपयोग किया जाता है। वानकी के
अंतर्गत केवल वनों का विकास ही उद्देश होता है जहाँ बड़ी भूमि पर वृक्षारोपण द्वारा बड़ी मात्रा में वन
लगाये जाते है।
कृषि वानकी में वृछ लगाने का उद्देश खेती में विविधता पैदा करना है
जिससे कृषि भूमि को ज्यादा से ज्यादा उपयोग में लाया जा सके, कृषि योग्य भूमि का
पूरा सदुपयोग किया जा सके और एक निश्चित समय बाद उससे किसानो को आमदनी भी प्राप्त
हो सके।
कृषि वानकी के अनेक लाभ है जिसमे कुछ नीचे दिए गए हैं:
१. खेतों की खाली जमीन का
पूर्ण इस्तेमाल किया जा सकता है। जैसे मेढ़ों पर वृक्षारोपण करने से कृषि योग्य भूमि का ज्यादा से ज्यादा उपयोग हो जाता
है ।
२. गहरी जड़ों के पेड़ उगाने
से जमीन की गहराई से पोषक तत्व उपर आते हैं। इससे मिटटी में पोषकतत्वों का आदान
प्रदान (rotation) होता रहता है ।
३. वातावरण भी शुद्ध रहता
है ।
४. पेड़ों के तैयार होने पर
अच्छी खासी अतरिक्त आमदनी हो जाती है ।
५. घर के इस्तेमाल के लिए
इमारती लकड़ी उपलब्ध होती है ।
६. पेड़ों की गिरने वाली
पत्तियां या तथा पेड़ों के अन्य भाग को सड़ाकर खेती के लिए बेहतर खाद तैयार की जा
सकती है ।
वानकी का वर्गीकरण (Classification of Forestry) :
वानकी के विभिन्न उद्देश्य के
आधार पर निम्न प्रकार से वर्गीकरण किया गया है -
१. संरछण वानकी (Conservation Forestry) : यहाँ वृक्षारोपण का प्रमुख उद्देश्य भूमि को छरण (erosion) से बचाना, जमीन में
जल के स्तर को बढ़ाना इत्यादि ।
२. व्यवसायिक वानकी (Commercial forestry) : यहाँ वृक्षारोपण का प्रमुख उद्देश्य आमदनी प्राप्त करना होता है ।
३. सामाजिक वानकी (Social Forestry) : यहाँ वन लगाने का प्रमुख उद्देश्य समाज
के लिए पौधों को लगाना। उदाहरण के तौर पर सार्वजनिक जगहों पर इस प्रकार के पेड़
पौधे लगाना जिससे आम नागरिकों को जलने के लिए ईधन के रूप में पेड़ों की शाखाएं, पत्तियां
इत्यादि मिल सके ।
४. कृषि वानकी (Agro Forestry): यहाँ वृक्षारोपण का प्रमुख उद्देश्य कृषि योग्य भूमि का ज्यादा से ज्यादा
इस्तेमाल करके उससे लाभ अर्जित करना ।
कृषि वानकी में उपयोग करने
वाले पौधों की निम्न खासियत होनी चाहिए :
१. सीधा तना होना चाहिए ।
२. गहरी जडें होनी चाहिए ।
३. शाखाएं कम फैलने वाली
होनी चाहिए ।
४. वृक्षारोपण में ऐसे पेड़ों का चयन करना चाहिए जिनकी कीमत बाजार में
अच्छी मिले।
उत्तर प्रदेश में कृषि
वानकी में उपयोग करने के लिये प्रमुख रूप से निम्न पौधों का चयन किया जा सकता है :
सागौन, चन्दन, शीशम, साखू, पोपुलर, आम, नीम, जामुन, बबूल, बांस इत्यादि ।
कुछ पौधों की व्यावसायिक
उम्र (Commercial age of forestry
trees):
व्यवसायिक उम्र वह मानी
जाती है जिस उम्र पर कोई वन का पेड़ (forest tree) मुनाफा देने की
स्थिति में पहुँच जाता है।
शीशम की व्यवसायिक उम्र पचास साल (50 years)।
सागौन की तीस साल (30 years)।
साखू की पचास साल (50 years)।
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