उत्तर प्रदेश में पिछली सपा सरकार ने कृषकों को बिना भ्रस्टाचार के ज्यादा से लाभ देने के उद्देश्य से कृषि विभाग में डी. बी. टी. योजना लागु कर दी। यह एक जल्दबाजी में लिया गया फैसला था। आज यदि कोई किसान कृषि विभाग द्वारा कोई सब्सिडी का लाभ पाना चाहता है तो उसे कृषि विभाग द्वारा उपलब्ध कराये जाने वाले बीजों, कृषि दवाओं इयादी के लिए पहले पूरे पैसे चुकाने पड़ते हैं बाकि सरकारी छूट (सब्सिडी) का पैसा सीधा कृषक के खाते में बाद में आता है ।
इस योजना के साथ बड़ी विडंबना यह है कि ज्यादातर कृषक समाज, देर से या बाद में आने वाली छूट पर भरोसा कम ही करता अथवा उसमे संदेह भी देखता है कि छूट मिलेगी भी या नहीं ?. किसान सस्ते में उपलब्ध और त्वरित छूट चाहता है ।
निह्संदेश इस योजना (D.B.T.) के पहले भ्रस्टाचार बहुत व्यापक पैमाने पर व्याप्त था। पर उस पर अब बहुत हद तक नियंत्रण हो चुका है। लेकिन इस योजना की एक व्यवहारिक पहलू यही है कि किसान छोटी मोटी छूट के लिए बहुत भाग दौड़ नहीं करना चाहता है. चुकी कृषि विभाग के स्टोर भी दूर दूर होते हैं अतः किसान कुछ मंहगा ही सही पर आपने आस पास की दुकानों से सामान लेना पसन्द करता है ।
ज्यादातर किसानो का यह भी कहना है कि यदि वो किसी भी छोटी मोटी छूट के लिए दूर दूर जाना पडे और छूट का पैसा बाद में (बिना किसी निर्धारित समय में) आये, यह उनके लिए ज्यादा सुविधा पूर्ण नहीं लगता है। चुकी छूट भी बहुत ज्यादा नहीं होती है और उसकी एक सीमा है, ऐसे में किसान ज्यादा भागदौड़ से बचना चाहता है। कृषि विभाग से छूट का पैसा भी बहुत सारे मामलों में देर से ही प्राप्त होता है, अतः अधिकतर किसान इस योजना के लाभ से विमुख भी होने लगते है।छूट प्रप्ति के नियम भी बहुत कठिन होता है. इन बातों से किसानो में इस योजना के लिए बहुत उत्त्साह नहीं दिखाई पड़ता। अतः इस योजना के किसी सरलतम रूप में लागु करने की आवश्यकता है।